Sep 18, 2008

ये कैसी श्रद्धा है हमारी


हर इंसान की भगवान के प्रति अपनी आस्था होती है। कोई अपने फायदे के लिए तो कोई मन की शांति के लिए भगवान को प्रसन्न करने में जुटा हुआ है। पर कभी सोचा है कि हम अंजाने में भगवान का आदर नहीं निरादर कर रहे है। मेरी मंशा किसी की भावना को ठेस पहुंचाने की नहीं है, बस मैं कुछ बातों के जरिए सब का ध्यान इस तरफ लाना चाहती हूं कि जिस भगवान की पूजा करते है उसे ही क्यों कूड़े का ढेर बना देते है। हम जिस भगवान की पूजा के लिए हर चीज को शुद्ध करते है। उसी का निरादर होते देख हम चुप्पी क्यों साध लेते है। अभी हमने कुछ दिन पहले गणेश महोत्सव मनाया है। दस दिन तक श्री गणेश की स्थापना के साथ उनकी दिन रात पूजा की। पूरी श्रद्धा के साथ उनका गुणगान किया। फिर बाद में उनको जल प्रवाह किया। इसी के साथ क्या हमारी आस्था, श्रद्धा भी जल में बह गई। जिस भगवान को हमने जल में प्रवाह कर दिया, क्या बाद में हमारी नजर गई उस भगवान की प्रतिमा का क्या हुआ। दरिया, नदियों के किनारे वह उनकी प्रतिभा किस हाल में है। शायद भगवान के भक्तों के पास इतना समय कहां कि देख पाए कि हमने किया क्या है। बस दस दिन पूजा की, काम पूरा कर लिया अब क्या देखना कि हमारी श्रद्धा कहा है। जिस भगवान के हम जोर शोर से घर पर लाए, उसी शान से विदा भी किया। आज नगरनिगम की सफाई की गाड़ियां उन प्रतिमा को उठा रही है तो कहीं हमारे पैरों के नीचे आ रही है। इतना ही नहीं खंडित भगवान की प्रतिमा हमारी आंखों के सामने है पर हम चुपचाप तमाशा देख रहे है। यह सब देख कर हमारी आस्था क्यों नहीं जागती। हमारी श्रद्धा कहां चली जाती है, जब हम खुद अपने भगवान का अपमान करते है

Sep 8, 2008

ए भाई जरा देख के चलो


सड़क पर बढ़ती गाड़ियों की संख्या। चारों तरफ भागती अंधा धुंध गाड़ियां। आए दिन सड़कों पर होते हादसे। फिर भी रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगती। तेज रफ्तार के चक्कर में कई लोग रोज अपनी जान गंवाते है तो कई दूसरों को भी अपनी गलती की सजा दे देते है। रोजाना समाचार पत्रों के पन्नों पर सड़क हादसे में मौत के समाचार छपते है। हम उसे देखकर भी अनदेखा कर देते है। फिर निकल पड़ते है उसी रास्तें पर। थमती जिंदगी के आगे रफ्तार कम नहीं करते। रोजाना सड़कों पर बढ़ते हादसों से भी हम सीख नहीं ले रहे। सड़क कर निकलते समय हम अपने परिवार के बारे में अगर सोच ले तो शायद हमारी बढ़ती रफ्तार पर खुद-खुद कंट्रोल हो जाएगा। गाड़ी चलाते समय मोबाइल को सुनना, तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना, तेज म्यूजिक, नशे का सेवन सब हमारी जान के दुश्मन है। इन सबके बारे में समझ कब आएगी। थोड़ी सी जल्दबाजी कितनी देर कर सकती है, इसका अंदाजा न तो कोई लगा रहा है और न ही किसी के पास इस बारे में सोचना का समय है। तेज रफ्तार के चलते नुक्सान ही होता है। कभी किसी से टक्कर तो कभी झग़ड़ा। कई बार तो जीवन लीला का अंत। अकसर हमारी छोटी से गलती, हमारे लिए जीवन भर की सजा भी बन सकती है। जरा देख कर चला जाए तो हम अपने साथ-साथ कई जिंदगियां बचा सकते है। कम से कम सड़क कर चलते समय सावधानी बरतनी चाहिए।