Sep 8, 2008

ए भाई जरा देख के चलो


सड़क पर बढ़ती गाड़ियों की संख्या। चारों तरफ भागती अंधा धुंध गाड़ियां। आए दिन सड़कों पर होते हादसे। फिर भी रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगती। तेज रफ्तार के चक्कर में कई लोग रोज अपनी जान गंवाते है तो कई दूसरों को भी अपनी गलती की सजा दे देते है। रोजाना समाचार पत्रों के पन्नों पर सड़क हादसे में मौत के समाचार छपते है। हम उसे देखकर भी अनदेखा कर देते है। फिर निकल पड़ते है उसी रास्तें पर। थमती जिंदगी के आगे रफ्तार कम नहीं करते। रोजाना सड़कों पर बढ़ते हादसों से भी हम सीख नहीं ले रहे। सड़क कर निकलते समय हम अपने परिवार के बारे में अगर सोच ले तो शायद हमारी बढ़ती रफ्तार पर खुद-खुद कंट्रोल हो जाएगा। गाड़ी चलाते समय मोबाइल को सुनना, तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना, तेज म्यूजिक, नशे का सेवन सब हमारी जान के दुश्मन है। इन सबके बारे में समझ कब आएगी। थोड़ी सी जल्दबाजी कितनी देर कर सकती है, इसका अंदाजा न तो कोई लगा रहा है और न ही किसी के पास इस बारे में सोचना का समय है। तेज रफ्तार के चलते नुक्सान ही होता है। कभी किसी से टक्कर तो कभी झग़ड़ा। कई बार तो जीवन लीला का अंत। अकसर हमारी छोटी से गलती, हमारे लिए जीवन भर की सजा भी बन सकती है। जरा देख कर चला जाए तो हम अपने साथ-साथ कई जिंदगियां बचा सकते है। कम से कम सड़क कर चलते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

2 comments:

रंजन राजन said...

आपके ब्लाग पर आना अच्छा लगा। आपकी लेखन शैली प्रभावी है। सक्रियता बनाए रखें। शुभकामनाएं।
कभी फुरसत हो तो मेरे चिट्ठे पर भी एक नजर डालने का कष्ट करें।
www.gustakhimaaph.blogspot.com

राज भाटिय़ा said...

अगर सभी नियम से चले तो दुर्घटना से बचा जा सकता हे, धन्यवाद एक सुन्दर लेख के लिये