Jul 17, 2008

वक्त की चाल

वक्त की चाल
टिक टिक करती घड़ी की सुई, चलती है अपनी चाल।
जाने क्यों उस से वी, लोगो को रहता मलाल।
जो होना है वो तो होगा, सोचना क्यों दिन और साल।
जग में न कोई तेरा न है मेरा, वक्त का सब मायाजाल।
मेरा मेरा सब है कहते, इस जग मैं सब का ये हाल।
दुःख सुख है जीवन के साथी, फिर क्यों हो रहा बेहाल।

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